अपने पक्ष में सीट आरक्षित करवाने के लिए दांव पेंच भी इस्तेमाल किये जा रहे हैं। मगर पंचायतीराज निदेशालय के सख्त निर्देशों के अनुरूप इस प्रक्रिया में किसी भी तरह का जुगाड़ लग नहीं पा रही है। वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव में तय हुई आरक्षण नीति को पलटते हुए शासन द्वारा घोषित नई नीति के अनुसार हर जिले में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षित सीटों की संख्या तो तय कर दी गई है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षित व अनारक्षित सीटों का आवंटन भी घोषित कर दिया गया है। अब बाकी पांच पदों में कौन से ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान और कौन सा वार्ड यानि पंचायत सदस्य का पद किस जाति के लिए आरक्षित हुआ और कौन सा अनारक्षित, ब्लाक में क्षेत्र पंचायत सदस्य व ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य के लिए कौन सा वार्ड आरक्षित हुआ या अनारक्षित? इसी अहम सवाल का जवाब पाने के लिए ग्रामीणों की उत्सुकता बढ़ी हुई है।
इससे पहले जिला पंचायत राज अधिकारियों और अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत को लखनऊ स्थित पंचायतीराज निदेशालय में बुलाकर 16 फरवरी को प्रशिक्षित किया गया और उन्हें शासन की गाइडलाइंस और आरक्षण नीति के अनुसार सीटों के आवंटन की बारीकियां समझायी गयीं। इसके बाद जिलों में संबंधित जिलाधिकारी द्वारा पंचायती राज विभाग के जिला स्तरीय अन्य अधिकारियों व कार्मिकों को प्रशिक्षित किया गया। अब आगामी दो से तीन मार्च के बीच ग्राम पंचायत, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य के पदों के लिए सीटों के आवंटन के बाद इनकी अनंतिम सूची प्रकाशित होगी। उसके बाद दावे और आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। फिर इनका निस्तारण करके अंतिम सूची प्रकाशित कर दी जाएगी।
पंचायत चुनाव में आरक्षित सीटों के आवंटन का कार्यक्रम
-2 से 3 मार्च के बीच आरक्षित सीटों के आवंटन की अनंतिम सूची प्रकाशित होगी।
-4 से 8 मार्च तक आपत्तियां मांगी जाएंगी।
-9 मार्च को डीपीआरओ कार्यालयों में आपत्तियों व दावों का संकलन होगा।
-10 मार्च से 12 मार्च के बीच आपत्तियों व दावों का निस्तारण होगा।
-13 से 14 मार्च के बीच अंतिम सूची का प्रकाशन होगा।
-15 मार्च को यह सूची पंचायतीराज निदेशालय भेजा जाएगा।