बलिया में बिना फार्मासिस्ट के चल रही सैकड़ों दुकाने, औषधि निरीक्षक मोहित कुमार दिप की......


बलिया में बिना फार्मासिस्ट के चल रही सैकड़ों दुकाने, औषधि निरीक्षक मोहित कुमार दिप की संरक्षण में होलसेल के लाइसेंस पर प्राइवेट प्रेक्टिस का खेल जारी

बलिया। जी हाँ हम बात कर रहे हैं बलिया जनपद के ड्रग विभाग की, एक तरफ जहां प्रदेश की योगी सरकार आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही हैं। वही ड्रग इंस्पेक्टर सिद्धार्थ नगर व बलिया के प्रभारी ड्रग इंस्पेक्टर मोहित कुमार दीप योगी सरकार की छवि धूमिल करने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं।

औषधि विभाग की संरक्षण में अमरवेल कई तरफ फल-फूल रहा अवैध दवा का व्यवसाय, जिम्मेदार बने तमाशबीन

क्या ऐसे ही होगा सरकार का सपना साकार, आखिर इसके जिम्मेदार पर कब होगी कार्यवाही?


सूत्रों की माने तो बलिया औषधि विभाग का शुरू से ही विवादों से पुराना नाता रहा है पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि जहाँ प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को जबरिया रिटायर्ड करने से भी परहेज नही कर रही है। वहीं अभी भी कुछ अधिकारी ऐसे है जो अपनी आदतों से बाज नही आ रहे हैं। अगर हम बात करे बलिया के औषधि विभाग की तो यहां पर विभाग की मिली भगत से लोगो की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करना आम बात हो गया है। क्योंकि जानकारों की माने तो जब से शासन द्वारा यह फरमान जारी हुआ कि एक फार्मासिस्ट की डिग्री पर सिर्फ एक ही औषधि विक्रेता का लाइसेंस जारी हो सकेगा, तब से बलिया में प्राइवेट प्रेक्टिस के लिए लोगो ने होलसेल के लाइसेंस का सहारा लेना शुरु कर दिया है। और होलसेल के लाइसेंस पर रिटेल और प्रेक्टिस करने का खेल जारी हो गया। इतना ही नही विभाग के संरक्षण में उनका ये दवा का व्यवसाय अमरवेल की तरह फल-फूल भी रहा हैं। हालांकि कुछ उच्चाधिकारियों के दबाव में औचक निरीक्षण कर ड्रग इंस्पेक्टर मोहित कुमार द्वारा कुछ कार्यवाही भी की गई। परन्तु सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि क्या सिर्फ बलिया में कुछ गिने-चुने ही दुकानदार यह काम करते हैं? और अगर ऐसा नही है तो ड्रग इंस्पेक्टर के औचक निरीक्षण में बाकी दुकानदार क्यों बच जाते हैं या उन्हें क्लीन चिट दे दी जाती हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि या तो इस औचक निरीक्षण की उनको पहले से जानकारी हो जाती हैं या फिर उनके द्वारा ड्रग इंस्पेक्टर के मानक को पूरा कर दिया जाता हैं। जिस वजह से वे विभागीय कार्यवाही से बच भी जाते हैं। अब देखना यह हैं कि जनपद की तेजतर्रार (आईएएस) जिलाधिकारी बलिया औषधि निरीक्षक के खिलाफ क्या कार्यवाही करती हैं।

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