बैरिया। बैरिया तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत दयाछपरा में पानी टंकी स्थित खेल के मैदान को उपजिलाधिकारी बैरिया आत्रेय मिश्र ने प्रमुख सचिव के निर्देश पर अंततः तीन वर्षों बाद शुक्रवार को आनन-फानन में 52 परिवारों में ढाई ढाई डिसमिल के हिसाब से पट्टा आवंटित कर प्रशासन के बल पर कब्जा दिलवा दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि बैरिया तहसील अंतर्गत अन्य कई जगहों पर सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन खाली पड़ी है जिसपर भूमाफियाओं का अवैध कब्जा है जिसपर जिला प्रशासन मेहरबान बना हुआ है क्यों कि अगर जिला प्रशासन चाहता तो उन सरकारी जमीनों पर भी कटान पीड़ितों को पट्टा कर कब्जा दिलवा सकता था, परन्तु जिला प्रशासन ने भूमाफियाओं को बढ़ावा देते हुए सेना भर्ती की तैयारी करने वाले युवाओं के साथ उदासीन रवैया अपनाते हुए ग्राम सभा के खसरा नंबर 185 की जमीन को बाढ़ कटान पीड़ितों के नाम कर दिया जहां अगल बगल के गांव के युवा खेल के साथ-साथ दौड़ और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा जैसे आर्मी, एयर फोर्स, आदि कि तैयारी करते थे। एक तरफ आवासीय पट्टा मिलने से जहां कटान पीड़ित खुश नजर आए वही ग्रामसभा के साथ-साथ आसपास के युवाओं में मायूसी देखने को मिली। कब्जा दिलाने वाली टीम में उपजिलाधिकारी बैरिया आत्रेय मिश्र, क्षेत्राधिकारी बैरिया मोहम्मद उस्मान, कानूनगो महेंद्र सिंह, लेखपाल संजय पाण्डेय, रितेश कुंवर, शिव रंजन गुप्ता, अभिषेक पाण्डेय के अलावा एसएचओ बैरिया, थाना रेवती, हल्दी, दोकटी, समेत पुलिस लाइन के पुलीसकर्मी व राजस्व कर्मी मौजूद रहे।
यह है ग्राम प्रधान का आरोप
ग्राम प्रधान हृदयानंद वर्मा का कहना है कि जिला प्रशासन ने 24 घंटे पूर्व ही मुझे गांव से बाहर करते हुए लगभग 150 युवाओं को निरुद्ध कर दिया। साथ ही यह भी आरोप लगाया कि किसी भी ग्राम सभा की सरकारी जमीन बिना भूमि प्रबंध समिति व प्रधान के प्रस्ताव दिए किसी अन्य जगह के लोगो आवासीय पट्टा नही किया जा सकता। जबकि मेरे द्वारा ऐसा कुछ भी नही किया गया है तो आखिर बिना प्रस्ताव के यह पट्टा कैसे कर दिया गया, यह अपने आप में अबूझ पहेली है।
रिपोर्ट - निर्भय कुमार पाण्डेय